December 1, 2024
शब्दों की ताकत

शब्दों की ताकत

आज की कहानी शब्दों की ताकत पर आधारित है की कैसे सही शब्दों के चयन से किसी काम को पूर्ण किया जाये ताकि सभी काम आसानी से हो जाये और लोगो के ऊपर एक अलग प्रभाव भी पड़ जाये |
ये कहानी एक भिखारी की है जो अंधा था और सड़क के किनारे पर भीख मांग रहा था | उसने अपने पास एक बोर्ड रखा था उसमे लिखा था मैं अंधा हूँ मेरी मदद कीजिये | आने – जाने वाले लोग में से कुछ पैसे देते और कुछ बिना पैसे दिए चले जाते |

शब्दों की ताकत


एक दिन एक आदमी आता है और उस बोर्ड को उठता है , अपने बैग में से मार्कर निकलता है , बोर्ड में कुछ लिखता है , पैसे देता है और चला जाता है | जब से बोर्ड बदला तब से मानो चमत्कार हो गया | अब आने – जाने वालों में से लगभग सभी लोग इस भिखारी को पैसे दे कर जाने लगे |
भिखारी बहुत खुश था | वह सोचने लगा की आखिर व्यक्ति ने क्या लिख दिया ?
फिर साम के समय एक व्यक्ति आता है | अँधा भिखारी पहचान लेता है की यह वही व्यक्ति है जो सुबह आया था | वह पूछता है की आखिर उसने बोर्ड पर ऐसा क्या लिख दिया जो चत्मकार हो गया |
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया मैंने बोर्ड में सिर्फ ये लिखा ” आज का दिन बहुत खूबसूरत है पर मैं अंधा हूँ देख नहीं सकता “|

शब्दों की ताकत


दोस्तों शब्दों में बहुत ताकत होती है | सही शब्दों के चयन से हम अपने जीवन को और बेहतर बना सकते हैं | शब्दों की ताकत के बदौलत हम मुश्किल से मुश्किल काम बड़े ही आसान तरीके से करा सकते हैं | सही शब्दो के चयन से आधा – अधूरा काम भी बड़ी आसानी से पूरा हो सकता है|

शब्दों की ताकत, तलवार और गोली की ताकत से भी कहीं अधिक होती है। शब्दों के प्रभाव की सीमा को परिभाषित नहीं किया जा सकता है।

सही शब्दों के चयन को हम एक उदाहरण से समझते हैं – किसी मुश्किल काम को करने में कठिनाई आये और हम ये बोलें की ” इस काम को करने में बड़ी प्रॉब्लम है ” तो यह गलत है | प्रॉब्लम एक निगेटिव शब्द का प्रतीक है | इसके बजाय हम बोल सकते हैं ” ये काम चैलेंजिंग है “|