December 2, 2024
कर्मों का फल - ऊपरवाले का न्याय

कर्मों का फल – ऊपरवाले का न्याय

आज की कहानी ऊपरवाले के न्याय पर आधारित है की हमारे कर्मों का फल ऊपरवाला किस तरह देता है | एक महात्मा जी थे जो अपने एक शिष्य के साथ भ्रमण पर निकले हुए थे | एक गांव से दूसरे गांव एक शहर से दूसरे शहर जाते यही उनका रोज का काम था | जहां रुक जाते, शाम में वहां प्रवचन करते थे | उन्हें शांत रहना पसंद था | लेकिन जो शिष्य था वह इनके विपरीत था उसको दुनियादारी की बातें बहुत आती थी |वह दूसरे की जिंदगी में ताका झांकी करने में यकीन रखता था | उसे लोगों से ज्यादा से ज्यादा बात करना पसंद था | महात्मा जी को यह पसंद नहीं था |

कर्मों का फल - ऊपरवाले का न्याय

एक बार वह यात्रा पर निकले हुए थे | रास्ते में नदी के किनारे एक मछुआरा मछली पकड़ रहा था | महात्मा तो सीधे चले जा रहे थे लेकिन उनके शिष्य से रहा नहीं गया और वह मछुआरे के पास गया और अहिंसा का उपदेश देने लगा की जीवों पर दया किया करो |

मछुआरा कुछ देर तक सुनता रहा फिर जैसे ही जबाब देने वाला था की महात्मा तुरंत उसका हाथ पकड़कर खींचते हुए लेकर चले गए | बोले हमें किसी के पचड़े में इतना पड़ने की जरुरत नहीं हैं, इसका न्याय ऊपरवाला करेगा | फिर दोनों आगे बढ़ जाते हैं |

एकबार फिर जब दोनों भ्रमण को निकले थे की उन्हें एक सांप दिखाई दिया | सांप को कुछ चींटी खा रही थी और वह बचने की कोशिस कर रहा था और छटपटा रहा था | यह देखकर शिष्य फिर उस सांप को बचाने के लिए दौड़ा की तुरंत महात्मा जी उन्हें रोकते हैं |

गुरु जी की बात सुनकर शिष्य को बहुत गुस्सा आता है | वह झुझलाकर पूछता है गुरु जी आप तो सत्य और अहिंसा का उपदेश देते रहते हो लेकिन जब मैं अहिंसा के बारे में बताता हूँ या जीवों पर दया करता हूँ तो आप मुझे क्यों रोक देते हैं |

गुरु जी ने बताया की जैसा तुम सोच रहे हो वैसा बिलकुल नहीं है | याद है तुम्हे आज से पांच साल पहले नदी के किनारे एक मछुआरा मछली पकड़ रहा था | यह जो सांप है पूर्व जन्म का वही मछुआरा है और जो चीटियां हैं वह सब पूर्व की मछलियां हैं |

कर्मों का फल - ऊपरवाले का न्याय

अगर तुम अभी सांप को बचा लेते हो तो अपने कर्मों का फल भुगतने के लिए उसे फिर आना पड़ेगा | ये ऊपर वाले का न्याय है | जैसा चल रहा है चलने दो|

छोटी सी कहानी हमें यह बताती है अगर आप अच्छा कर्म करेंगे तो उसका परिणाम अच्छा होगा और बुरा कर्म करते हैं तो परिणाम बुरा ही होगा | हमें आगे, पीछे, दाएं, बाएं देखने की जरुरत नहीं है बस ऊपर देखने की जरुरत है |