December 1, 2024
बात दोस्ती निभाने की

बात दोस्ती निभाने की – जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी

यह दो दोस्त की जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी है | कहा गया है की अगर ” बात दोस्ती निभाने की हो तो उसमे स्वार्थ्य नहीं देखा जाता |”

दोस्त ने रेत पर कुछ लिखा

एक बार की बात है दो दोस्त कहीं जा रहे थे | जंगल का रास्ता था और साम हो आई थी | दोनों दोस्त जंगल में ही रात बिताने का फैसला करते हैं | टेंट लगाए , रात का भोजन किया | भोजन करते – करते किसी बात को लेकर दोनों में बहस सुरु हुई |

बात दोस्ती निभाने की

अब बहस इतनी बढ़ गई की एक दोस्त को गुस्सा आ गया और उसने दूसरे को एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया |

दूसरा दोस्त कुछ नहीं बोला बस चुप – चाप से उठा और मिट्टी में लिख दिया की ” आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारी ” | पहले दोस्त को अब बुरा लगने लगा लेकिन दोनों सो गये |

इसबार पत्थर पर कुछ लिखा

सुबह हुई तो दोनों ने नास्ता किया और फिर अपनी मंजिल की ओर चल दिए | रास्ते में एक छोटी नदी आई जिसे पार करके उन्हें आगे जाना था |

पहला दोस्त तो आराम से नदी पार कर गया लेकिन दूसरा दोस्त नदी के दलदल में फास गया | उसने बचाओ – बचाओ की आवाज लगाई तो पहला दोस्त किसी तरह बड़ी मुश्किल से उस दलदल से बहार निकला |

जब दोनों दोस्त नदी के उस पार आ गए तो दूसरा दोस्त उठा और पत्थर पर रगड़ – रगड़ कर लिखने लगा ” आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई ” |

बात दोस्ती निभाने की

रेत और पत्थर पर की लिखा ?

क्योंकि थप्पड़ खाने वाला और नदी के दलदल में फसने वाला एक ही व्यक्ति था इसलिए पहले वाले ने पूछा जब मैंने तुम्हे थप्पड़ मारा तो रेत पर जमीन में लिख दिए लेकिन जब बचाया तो आखिर पत्थर पर क्यों लिख रहे हो ?

दूसरे दोस्त ने जबाब दिया थप्पड़ मारने वाली बात रेत पर लिखा क्योकि मैं चाहता हूँ की ऐसी हवा आये की रेत पर लिखी बात की तरह मेरे मन से सारी नाराजगी मिट जाये |

और दलदल से बचाने वाली बात को पत्थर पर लिख रहा हूँ ताकि यह बात मेरे मन से कभी न मिटे की मेरे दोस्त ने मेरी जान बचाई | अगर बात दोस्ती निभाने की हो तो ये सब क्या देखना ?

यह सुनकर पहला दोस्त भावुक हो गया और दूसरे को गले लगा लिया | अब दोनों दोस्त ख़ुशी – ख़ुशी अपनी मंजिल की ओर बढ़ चले |

बात दोस्ती निभाने की – जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी

कहानी से सीख

एकदम ऐसा ही हम सब के साथ होता है | कोई दोस्त या रिस्तेदार या अपने घर का ही कोई सदस्य चाहे माँ या पिता या भाई या बहन सभी कितना भी हमारे साथ कर दें लेकिन उनकी एक गलती से भी हम उनसे नाराज हो जाते हैं | हम उनके पुराने त्याग को बिलकुल भूल जाते हैं |

इस कहानी के माध्यम से यही सन्देश पहुँचाना चाहता हूँ की जिंदगी में किसी के त्याग को मत भूलिए | हाँ , कभी – कभी ऐसा हो जाता है की हमारे अपनों को ही हमारी सोच के विपरीत बोलना या करना पड़ जाता लेकिन उनसे मन मुटाव करने से पहले अपने प्रति उनके पुराने त्याग को जरूर याद करिये |