यह एक मजेदार कहानी है जो बताती है की उपरवाले का खेल कितना विचित्र है | यह बताती है की ऊपरवाला अपने कर्म के अनुसार फल देता है | और कभी कभी तो कर्म से कहीं ज्यादा फल देता है, जिसकी उम्मीद कोई नहीं कर सकता | बस उसके निर्णय को स्वीकार करके अपना कर्म करते रहिये | ऊपर वाले के प्लान को समझना है तो ये कहानी जरूर पढ़ें |
एक बार की बात है यमराज ने एक यमदूत को किसी औरत की आत्मा लेने के लिए जमीन पर भेजा | जब वह दूत नीचे आता है तो देखता है कि उस औरत की तीन बेटियां हैं और उसके पति की पहले ही मृत्यु हो चुकी है | अगर इस औरत की मृत्यु हो जाती तो उसके तीनो बच्चे अनाथ हो जाते |
इन लड़कियों का दर्द देखकर यमदूत बहुत विचलित हो गया और बिना आत्मा लिए वापस जा करके यमराज से बोलता है कि महाराज मैं उस औरत की आत्मा नहीं ला पाया | मैं क्या अगर आप होते तो बच्चियों का दर्द देखकर आपका दिल बैठ जाता और आप उसकी आत्मा ना ले पाते |
यमराज को बहुत गुस्सा आया | उसने कहा कि तुमने बहुत बड़ा अनर्थ कर डाला और तुम्हें मेरे निर्णय को ठुकराने की हिम्मत कैसे हुई | जो जीवन और मृत्यु सब का हिसाब रखता है | आज तुमने उसे चुनौती दे डाली | और गुस्सा हो करके अपने देश से निकाल दिया और बोला कि जो तुम्हे इतने प्रिय हैं अब उन्हीं लोगों के साथ जाकर रहो |
यमदूत बहुत डर गया | यमराज से बहुत मिन्नतें करी लेकिन दंड दे दिया तो दे दिया | दूत ने कहा कि ठीक है अगर आपने दंड दिया तो ठीक है लेकिन इससे वापस आने का और इस दंड से मुक्ति का भी मार्ग बता दीजिये |
दूत को गिड़गिड़ाता देख यमराज को तरस आ गया | बोले कि जब तुम अपनी मूर्खता पर तीन बार हंस लोगे तब यमलोक आने के लायक हो जाओगे |
यह कह कर दूत को इसी शहर में भेज दिया जहां से उस बूढी औरत की आत्मा लानी थी | और वह एकदम फटेहाल में सड़क किनारे पड़ा हुआ था | ठण्ड का मौसम था इसलिए एकदम ठिठुर कर कोने में चिपका था |
सुबह सुबह एक जूता बनाने वाला मोची अपने बच्चों के कपडे खरीदने बाजार जा रहा था | उसने देखा कोई ठंडी में ठिठुर रहा है तो तरस आ गया और जो बच्चों के लिए पैसे लिए थे उन्ही से अब दूत के लिए कपडे खरीद लिए |
बातों – बातों में पता चलता है की रहने के लिए कोई छत नहीं है तो आदमी अपने घर भी लिवा गया | वह आदमी बताता है कि उसकी बीवी इन सब को देखकर गुस्सा करेगी | लेकिन तुम कुछ बोलना मत | वह चिल्लायेगी लेकिन दिल की बहुत अच्छी है | तुम बुरा मत मानना |
घर पहुंचने पर वही हुआ | उसकी पत्नी बहुत गुस्सा करती है कि तुमको मैंने पैसे दिए थे कि बच्चों के कपड़े लाने हैं और तुमने यह क्या कर दिया | और अगर किसी की मदद की तो ठीक साथ में उसको उठा ले यहां पर सिर पर बोझ बना दिए |
उसकी पत्नी चिल्लाकर चली गई तो दूत हंसने लगा | वह सोच रहा था कि यह औरत कैसी है इसे पता नहीं है कि इसका भाग्य बदलने वाला है | आदमी ने पूछा कि क्यों हंस रहे हो ? उसने कहा कि अभी नहीं बाद में बताऊंगा |
दूत के पास कोई काम नहीं था तो आदमी अपने साथ लेकर के जाने लगा और अपना मोची का काम सिखा दिया | थोड़े ही दिन में वह बहुत अच्छा काम करने लगा और प्रशिद्ध हो गया |
कुछ दिन के बाद राजा का सेनापति थोड़े से चमड़े लेकर आता है और बोलता है कि देखो बस इतने ही चमड़े हैं | और इससे राजा साहब के लिए जूते बनाने हैं और ध्यान रहे जूते ही बनाने हैं | क्योंकि वहां का नियम था की चप्पल सिर्फ मृत्यु में ही पहना जाता था जूते जीवित लोग पहनते थे |
लेकिन यह क्या दूत ने उस चमड़े का चप्पल बना दिया | जब सेनापति देखा की चप्पल बना दिया तो वह बहुत गुस्सा होने लगा |
तभी राजा का कोई नौकर दौड़ता हुआ आता है और बोलता है कि तुमने उस चमड़े का जूता तो नहीं बना दिया दरअसल राजा जी मर गए हैं | अब जो उनको जूता पहनाना था अब चप्पल पहन कर तब उनकी अंतिम विदाई की जाएगी |
सेनापति ने तुरंत उस चप्पल को लिया और भागता हुआ चला गया और यह दूध अब हंसने लगा |
आदमी ने पूछा अबकी बार क्यों हंस रहे हो ? दूत ने कहा कि अभी नहीं बाद में बताऊंगा |
थोड़े दिन के बाद एक बूढी औरत के साथ में तीन लड़कियां आती हैं | और कहती हैं कि सैंडल बनवानी है | दरअसल उसकी शादी हो रही थी |
दूत यह देख करके तुरंत समझ जाता है कि यह तो वही तीनों लड़कियां हैं जिनकी मां की आत्मा लेने के लिए मैं आया था |
वह बूढी औरत से पूछता है कि आप कौन हो ? बूढी औरत बताती है इनकी मां बहुत दिन पहले गुजर गई थी | मैं उनके पड़ोस में रहती थी इसलिए इनको गोद ले लिया था और अब इन सब की शादी कर रही हूं | इसीलिए यह सैंडल बनवाने के लिए आई हूं |
दूत समझ गया की वह नहीं बल्कि कोई और इसकी माँ की आत्मा लेने आया था | उसे समझ आ गया की लड़कियों के भाग्य में सुख भोगना लिखा था जो की उनकी माँ के मरने के बाद ही हो पाता | वह उपरवाले का खेल समझ चुका था की अगर उसकी माँ जीवित होती तो न तो उनकी शादी किसी अच्छे घर में हो रही होती बल्कि सभी गरीबी में ही जी रहे होते |
दूत सैंडल बना कर दिया और जोर-जोर से हंसने लगा | आदमी ने पूछा कि भाई अब तो बता दो क्यों हंस रहे हो ?
दूत ने फिर सारी कहानी बताई | आदमी डर गया तो दूत ने समझाया की डरो मत तुम तो मेरे अपने हो | अब मैं आया हूँ तो तुम्हारे साथ सब ठीक करके ही जाउगा |
इसीलिए कहा गया है कि ” लाभ, हानि, जीवन, मरण, ये सब विधाता के हाथ है |” उपरवाले का खेल समझना किसी के बस की बात नहीं है | हम कर्म योनि में पैदा हुए हैं | हमें कर्म करना चाहिए बाकी उपरवाले का खेल उन्ही पर छोड़ देना चाहिए |
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