December 2, 2024
उपरवाले का खेल

उपरवाले का खेल – एक मजेदार कहानी

यह एक मजेदार कहानी है जो बताती है की उपरवाले का खेल कितना विचित्र है | यह बताती है की ऊपरवाला अपने कर्म के अनुसार फल देता है | और कभी कभी तो कर्म से कहीं ज्यादा फल देता है, जिसकी उम्मीद कोई नहीं कर सकता | बस उसके निर्णय को स्वीकार करके अपना कर्म करते रहिये | ऊपर वाले के प्लान को समझना है तो ये कहानी जरूर पढ़ें |

एक बार की बात है यमराज ने एक यमदूत को किसी औरत की आत्मा लेने के लिए जमीन पर भेजा | जब वह दूत नीचे आता है तो देखता है कि उस औरत की तीन बेटियां हैं और उसके पति की पहले ही मृत्यु हो चुकी है | अगर इस औरत की मृत्यु हो जाती तो उसके तीनो बच्चे अनाथ हो जाते |

उपरवाले का खेल

इन लड़कियों का दर्द देखकर यमदूत बहुत विचलित हो गया और बिना आत्मा लिए वापस जा करके यमराज से बोलता है कि महाराज मैं उस औरत की आत्मा नहीं ला पाया | मैं क्या अगर आप होते तो बच्चियों का दर्द देखकर आपका दिल बैठ जाता और आप उसकी आत्मा ना ले पाते |

यमराज को बहुत गुस्सा आया | उसने कहा कि तुमने बहुत बड़ा अनर्थ कर डाला और तुम्हें मेरे निर्णय को ठुकराने की हिम्मत कैसे हुई | जो जीवन और मृत्यु सब का हिसाब रखता है | आज तुमने उसे चुनौती दे डाली | और गुस्सा हो करके अपने देश से निकाल दिया और बोला कि जो तुम्हे इतने प्रिय हैं अब उन्हीं लोगों के साथ जाकर रहो |

यमदूत बहुत डर गया | यमराज से बहुत मिन्नतें करी लेकिन दंड दे दिया तो दे दिया | दूत ने कहा कि ठीक है अगर आपने दंड दिया तो ठीक है लेकिन इससे वापस आने का और इस दंड से मुक्ति का भी मार्ग बता दीजिये |

दूत को गिड़गिड़ाता देख यमराज को तरस आ गया | बोले कि जब तुम अपनी मूर्खता पर तीन बार हंस लोगे तब यमलोक आने के लायक हो जाओगे |

यह कह कर दूत को इसी शहर में भेज दिया जहां से उस बूढी औरत की आत्मा लानी थी | और वह एकदम फटेहाल में सड़क किनारे पड़ा हुआ था | ठण्ड का मौसम था इसलिए एकदम ठिठुर कर कोने में चिपका था |

सुबह सुबह एक जूता बनाने वाला मोची अपने बच्चों के कपडे खरीदने बाजार जा रहा था | उसने देखा कोई ठंडी में ठिठुर रहा है तो तरस आ गया और जो बच्चों के लिए पैसे लिए थे उन्ही से अब दूत के लिए कपडे खरीद लिए |

बातों – बातों में पता चलता है की रहने के लिए कोई छत नहीं है तो आदमी अपने घर भी लिवा गया | वह आदमी बताता है कि उसकी बीवी इन सब को देखकर गुस्सा करेगी | लेकिन तुम कुछ बोलना मत | वह चिल्लायेगी लेकिन दिल की बहुत अच्छी है | तुम बुरा मत मानना |

घर पहुंचने पर वही हुआ | उसकी पत्नी बहुत गुस्सा करती है कि तुमको मैंने पैसे दिए थे कि बच्चों के कपड़े लाने हैं और तुमने यह क्या कर दिया | और अगर किसी की मदद की तो ठीक साथ में उसको उठा ले यहां पर सिर पर बोझ बना दिए |

उपरवाले का खेल

उसकी पत्नी चिल्लाकर चली गई तो दूत हंसने लगा | वह सोच रहा था कि यह औरत कैसी है इसे पता नहीं है कि इसका भाग्य बदलने वाला है | आदमी ने पूछा कि क्यों हंस रहे हो ? उसने कहा कि अभी नहीं बाद में बताऊंगा |

दूत के पास कोई काम नहीं था तो आदमी अपने साथ लेकर के जाने लगा और अपना मोची का काम सिखा दिया | थोड़े ही दिन में वह बहुत अच्छा काम करने लगा और प्रशिद्ध हो गया |

कुछ दिन के बाद राजा का सेनापति थोड़े से चमड़े लेकर आता है और बोलता है कि देखो बस इतने ही चमड़े हैं | और इससे राजा साहब के लिए जूते बनाने हैं और ध्यान रहे जूते ही बनाने हैं | क्योंकि वहां का नियम था की चप्पल सिर्फ मृत्यु में ही पहना जाता था जूते जीवित लोग पहनते थे |

लेकिन यह क्या दूत ने उस चमड़े का चप्पल बना दिया | जब सेनापति देखा की चप्पल बना दिया तो वह बहुत गुस्सा होने लगा |

तभी राजा का कोई नौकर दौड़ता हुआ आता है और बोलता है कि तुमने उस चमड़े का जूता तो नहीं बना दिया दरअसल राजा जी मर गए हैं | अब जो उनको जूता पहनाना था अब चप्पल पहन कर तब उनकी अंतिम विदाई की जाएगी |

सेनापति ने तुरंत उस चप्पल को लिया और भागता हुआ चला गया और यह दूध अब हंसने लगा |

आदमी ने पूछा अबकी बार क्यों हंस रहे हो ? दूत ने कहा कि अभी नहीं बाद में बताऊंगा |

थोड़े दिन के बाद एक बूढी औरत के साथ में तीन लड़कियां आती हैं | और कहती हैं कि सैंडल बनवानी है | दरअसल उसकी शादी हो रही थी |

दूत यह देख करके तुरंत समझ जाता है कि यह तो वही तीनों लड़कियां हैं जिनकी मां की आत्मा लेने के लिए मैं आया था |

वह बूढी औरत से पूछता है कि आप कौन हो ? बूढी औरत बताती है इनकी मां बहुत दिन पहले गुजर गई थी | मैं उनके पड़ोस में रहती थी इसलिए इनको गोद ले लिया था और अब इन सब की शादी कर रही हूं | इसीलिए यह सैंडल बनवाने के लिए आई हूं |

दूत समझ गया की वह नहीं बल्कि कोई और इसकी माँ की आत्मा लेने आया था | उसे समझ आ गया की लड़कियों के भाग्य में सुख भोगना लिखा था जो की उनकी माँ के मरने के बाद ही हो पाता | वह उपरवाले का खेल समझ चुका था की अगर उसकी माँ जीवित होती तो न तो उनकी शादी किसी अच्छे घर में हो रही होती बल्कि सभी गरीबी में ही जी रहे होते |

उपरवाले का खेल

दूत सैंडल बना कर दिया और जोर-जोर से हंसने लगा | आदमी ने पूछा कि भाई अब तो बता दो क्यों हंस रहे हो ?

दूत ने फिर सारी कहानी बताई | आदमी डर गया तो दूत ने समझाया की डरो मत तुम तो मेरे अपने हो | अब मैं आया हूँ तो तुम्हारे साथ सब ठीक करके ही जाउगा |

इसीलिए कहा गया है कि ” लाभ, हानि, जीवन, मरण, ये सब विधाता के हाथ है |” उपरवाले का खेल समझना किसी के बस की बात नहीं है | हम कर्म योनि में पैदा हुए हैं | हमें कर्म करना चाहिए बाकी उपरवाले का खेल उन्ही पर छोड़ देना चाहिए |