December 2, 2024
जिंदगी में ज्ञान बाटने से कुछ नहीं होता, मुस्कान बाटना भी जरुरी होता है

जिंदगी में ज्ञान बाटने से कुछ नहीं होता, मुस्कान बाटना भी जरुरी होता है

“जिंदगी में ज्ञान बाटने से कुछ नहीं होता, मुस्कान बाटना भी जरुरी होता है |” आज की छोटी सी कहानी इसी पर आधारित है | एक नगर में एक अमीर सेठ रहता था | धन – धान्य से भरपूर था , जिंदगी में सब बढ़िया चल रहा था |

जिंदगी में ज्ञान बाटने से कुछ नहीं होता, मुस्कान बाटना भी जरुरी होता है - सेठ जी का घर

एकदिन सेठ जी साम को घर आये , दरवाजा खोला देखा की घर के सभी लोग भगवान की पूजा – आरती में लगे हुए थे |

सेठ जी थोड़े नास्तिक बिचार के थे इसलिए वो सीधे अपने कमरे में चले गए | फ्रेश हुए फिर अपने नौकर से कहा एक कप कॉफी बनाने के लिए |

सेठ की बेचैनी

नौकर जैसे ही कॉफी बनाने के लिए जाने लगा , कि सेठ जी को बड़ी जोर से बेचैनी होने लगी , उलझन सी होने लगी , उन्होंने नौकर को तुरंत आवाज दिया कि पहले डॉक्टर को बुलाओ कॉफी बाद में बनाना |

यह सुनकर घर के अन्य सदस्य उनके पास आ गए | थोड़ी देर में डॉक्टर भी आ गए | डॉक्टर ने चेक किया सबकुछ नार्मल था | डॉक्टर ने कहा – सेठ जी आप को कुछ नहीं हुआ सब हुछ नार्मल है बस आप आराम से खा – पी कर सो जाइये |

फिर भी सेठ ने कहा उसे बहुत बेचैनी है कोई दवा दे दीजिये | डॉक्टर के समझाने पर जब सेठ जी नहीं माने तो डॉक्टर उन्हें दवा दिए और चले गए |

सेठ की बेचैनी

सेठ जी डिनर किये सोने गए लेकिन बेचैनी इतनी कि नींद नहीं आई | नींद कि दवा लिए लेकिन फिर भी नींद नहीं आई | समय देखा तो तीन बज रहे थे |

सेठ जी ने सोचा सायद घर में हूँ इसलिए उलझन हो रही है चलो थोड़ा बाहर घूम कर आते है , यह सोचा कर सेठ जी चल दिए |

घर से निकले, चलते – चलते काफी दूर आ गए | उन्होंने सोचा अब सुबह भी होने वाली है , आराम भी समझ आ रहा है , क्यू न घर चला जाये |

सेठ जी को औरत का दर्द क्यों नहीं देखा गया ?

जैसे ही घर को चले उन्हें किसी के रोने कि आवाज सुनाई दी | सोचा चल कर एकबार देख लू क्या बात है फिर सोचा सुबह होने वाली है क्या मतलब है इनसब चक्करो में पड़ने से | न चाहते हुए भी वो उस घर कि ओर चल दिया |

जाकर देखा तो एक बुढ़िया दिवार में सर पटक – पटक कर रो रही थी |

अब सेठ जी परेशान हो गए बुढ़िया से पूछा कि क्या हो गया | वो बोली – मेरे लड़के कि तबियत बहुत ख़राब है, मेरे पास दवा के इतने पैसे नहीं है कि मैं इसका इलाज करा सकूँ |

सेठ जी बोले – जहा तुम काम करती हो वह से पैसे लेलो, तुम कहा काम करती हो ? रोने से कोई हल नहीं निकलेगा |

बुढ़िया बोली – मैं लोगो के घर -घर जा कर झाड़ू पोछा करती हूँ | सबसे पैसा मांगकर देख लिया , पैसे कोई नहीं दे रहा |

बाकि में इसलिए रो रही हूँ कि कल एक महात्मा आये थे उन्होंने आज के लिए कहा था कि भगवान पर भरोसा रखो सुबह हॉस्पिटल जाने से पहले तुम्हारे पास पैसे का इंतजाम हो जायेगा |

अब देखो सुबह होने वाली है , मुझे हॉस्पिटल जाना है लेकिन अभी पैसो का इंतजाम कुछ भी नहीं हुआ | अगर मेरे बेटे को कुछ हो गया तो मैं भी मर जाउंगी |

जिंदगी में ज्ञान बाटने से कुछ नहीं होता, मुस्कान बाटना भी जरुरी होता है-औरत का दर्द

सेठ जी की बेचैनी कैसे ख़तम हुई ?

इतना सुनकर सेठ जी का दिल पसीझ गया वे बिना कुछ सोचे समझे तुरंत एम्बुलेंस को फ़ोन किया और बूढी महिला को तसल्ली दिया कि रोइये मत सब ठीक हो जायेगा |

सेठ जी कहाँ आना ही नहीं चाह रहे थे और कहा इस बुढ़िया के लिए परेशान हो गए |

वो एम्बुलेंस के साथ हॉस्पिटल गए और डॉक्टर से कहा इसका इलाज करो | इलाज का जितना भी खर्च होगा सब मुझसे लेलेना |

औरत से कहा अब आपको कही और काम करने कि कोई जरुरत नहीं है मेरे पास कई सारी फक्ट्री हैं , किसी में भी काम कर लीजियेगा | यहांतक कि उसको रहने के लिए अपना सर्वेइंग क्वाटर भी दे दिया |

सेठ जी की बेचैनी तो पहले ही ख़तम हो गयी थी जब उन्होंने एम्बुलेंस के लिए फोन किया था तभी |

क्या सचमुच भगवान है ?

लेकिन अब उनको एकबात और परेशान करने लगी कि क्या सचमुच भगवान है ? उस महिला ने भगवान को याद किया और माध्यम बनाने मैं चला गया | मैं कैसे यहाँ तक आ गया ? सेठ जी के मन में 50 ख्याल आने लगे |

हलाकि सेठ जी कर्म में ज्यादा विस्वास करते थे लेकिन उस दिन उन्हें एक और बात पता चली | कर्म साथ – साथ लोगो कि मदद करना भी जरुरी है |

समझ आ गया कि जब मैंने किसी कि मदद करी तो मुझे सुकून मिला मेरे अंदर जो बेचैनी थी वो दूर हो गई |

कहानी का सार

दुनिया में भगवान ने सिर्फ एक धर्म बनाया है उसका नाम है ” मानवता ” | इससे बढ़कर कोई धर्म नहीं है | अगर आप दूसरों कि मदद करेंगे तो ऊपरवाला आपकी मदद जरूर करेगा |

इसीलिए कहा गया है कि ” जिंदगी में ज्ञान बाटने से कुछ नहीं होता, मुस्कान बाटना भी जरुरी होता है |”
“आप जमीन वालों पर रहम करो 🙏🙏 ऊपर वाला आप पर रहम करेगा।”