यह एक ज्ञानवर्धक लघु कथा है जो बताता है की कैसे आपके कर्मों का रिजल्ट आपको ढूढ़ कर निकलेगा क्योकि हमारी संपत्ति के उत्तराधिकारी तो होते हैं लेकिन हमारे कर्मों के उत्तराधिकारी हमीं होते हैं |
यह कहानी एक बाबा की है जो निश्छल भाव से प्रभु की सेवा भजन करता था |
साधु की उम्मीद उपरवाले से
एकबार की बात है वह भिक्षा मांगने के लिए अपने आश्रम से शहर जा रहे थे | आश्रम से निकलते समय मौसम में कुछ उमस थी और शहर पहुंचते – पहुंचते धीमे – धीमे बारिस होने लगी |
बाबा जी बोले वाह प्रभु क्या मौसम बना दिए हो और भीगते हुए, बस उपरवाले को याद करते चले जा रहे थे |
रास्ते में एक चायवाला देखता है की कोई साधु बारिस में भीग रहा है | चाय वाले को लगा की पता नहीं कितनी दूर से बाबा जी पैदल चले आ रहे हैं |
चायवाला यह सोचकर बाबा पर मेहरबानी करके उनको बुलाया और चाय समोसे के साथ नाश्ता करवाया | बाबा जी उसे खुश रहने का बहुत सारा आशीर्वाद दे करके आगे बढ़ गये |
चलते -चलते बाबाजी ऊपर वाले को धन्यवाद दे रहे थे कि वाह ऊपर वाले तेरी महिमा अपरंपार है | प्रभु मेरी इच्छा थी समोसे खाने की और आपने क्या इंतजाम बैठाया की बिन मांगे समोसे तो मिले और साथ ही साथ चाय भी मिल गयी |
साधु को मिले बिन मांगे थप्पड़
यह सोचते हुए बारिश का आनंद लेते हुए मस्ती में झूमते वे चले जा रहे थे | साथ ही साथ एकदम मस्ती में जो पानी सड़क पर भरा था उसको अपने पैरों से उछालते चले जा रहे थे |
रास्ते में उन्हें एक प्रेमी युगल जोड़े मिले | बाबा जी पानी उछाल रहे थे की गलती से महिला साथी के ऊपर पानी पड़ गया | उसने अपने पुरुष साथी को बताया कि देखो बाबा ने मेरे कपडे ख़राब कर दिए |
यह सुनकर उसका पुरुष साथी गुस्से से आग बबूला हो गया और बाबा जी को दो थप्पड़ जड़ दिए | बाबा को थप्पड़ इतनी जोर से लगा की सड़क पर पानी में गिर गए |
बाबा उठे और कहा प्रभु से कहा – क्या प्रभु कभी बिन मांगे समोसे और कभी बिन मांगे थप्पड़ | वाह प्रभु तेरी लीला बस तू ही जाने | फिर उठे, मुस्कुराये, और मस्ती में गुनगुनाते हुए ईश्वर भजन करते हुए और झूमते हुए चल दिए |
बाबा के श्राप की सच्चाई
थोड़ी दूर गए थे कि इधर जो पुरुष साथी था वह सीडी से चढ़ रहा था और फिसल करके गिर गया | उसे बहुत जोर से चोट आ गई | चोट इतनी आ गयी की वह बेहोस हो गया |
अब लड़की बहुत परेशान हो गई और चिल्लाने लगी कि बाबा जी को थप्पड़ मार दिया इसीलिए बाबा ने श्राप दे दिया | उनके श्राप से ही यह सब हुआ है |
यह सब सुन करके भीड़ इकट्ठा हो गई | भीड़ को भी बहुत गुस्सा आ रहा था कि अरे उस बाबा की इतनी मजाल की उसने श्राप दे दिया | उसे तो सबक सीखना पड़ेगा |
फिर क्या था सब लोग मिलकर बाबा को ढूढने लगे | आखिर बाबा मिल गए | जैसे ही बाबा को मरने जा रहे थे तभी उन्होंने कहा रुको रुको अच्छा बताओ कि तुम लोग मुझे क्यों मार रहे हो ?
भीड़ ने बताया कि जिस लड़के ने तुमको अभी थप्पड़ मारा था, तुम्हारे श्राप की वजह से वह बेहोश होकर गिर गया | कोई तुम्हे थप्पड़ मार देगा तो श्राप दे दोगे |
फिर बाबा ने कहा कि आपको पता है उसने मुझे क्यों थप्पड़ मारा ?
भीड़ में से किसी को भी यह बात नहीं पता थी |
बाबा ने बताया की उसके महिला साथी के ऊपर मुझसे पानी पड़ गया था और उसका कपड़ा खराब हो गया था | उसके साथी उसके यार का कपडा ख़राब हो गया तो उसने मुझे थप्पड़ मार दिया | और आपको पता है मेरा यार वो ऊपरवाला है |
अब उस उपरवाले ने देखा होगा की उसके साथी के ऊपर थप्पड़ पड़ा है तो हो सकता है की बदले में वही कुछ किये होंगे | अब मुझे कुछ भी नहीं पता | उसकी महिमा वो ही जाने | और हाँ, मैंने कोई श्राप नहीं दिया |
यह सुनकर भीड़ पीछे हट गई | बाबाजी फिर मुस्कुराते हुए मस्ती में ईश्वर भजन करते हुए झूमते हुए चल दिए |
कर्मों के उत्तराधिकारी कौन – कहानी से सीख
यह छोटी सी कहानी हमें यह बताती है की अगर आपका भरोसा उस ईश्वर पर है तो सब कुछ अच्छा होगा | और हमारे जो कर्म है उसका फल हमें कहीं से भी ढूढ़ निकलेगा | क्योकि हमारे कर्मों के उत्तराधिकारी सिर्फ और सिर्फ हम होते हैं |
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