एक कहावत है “जब हम अपने लिए चुनते हैं तो श्रेष्ठ चुनते हैं लेकिन जब हम प्रभु पर छोड़ देते हैं तो प्रभु हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ चुनते हैं “|
ये कहानी है एक गरीब परिवार की जिसमे दो लोग रहते थे | पिता और उसका एक बेटा | दोनों का समय जैसे – तैसे चल रहा था | की एक दिन पिता ने सोचा मेरे बेटे को बादाम का हलवा पसंद है तो क्योंना आज बादाम का हलवा बनाया जाये |
बेटे की पसंद का हलवा
पिता ने हलवा बनाया उसे दो प्लेट में निकला , क्योंकि बेटे को बादाम पसंद था इसलिए उसने एक प्लेट में चार बादाम अलग से डाल दिया और बेटे से कहा कोई प्लेट ले लो |
फिर बेटे ने जिसमे बादाम दिख रहा था वही प्लेट उठाया, बेटे ने देखा उसकी प्लेट में बस वही चार बादाम है जो ऊपर से दिख रहा था, लेकिन उसके पिता के प्लेट में अंत तक 8 – 10 बादाम निकले |
बेटे को पछतावा और सीख
बेटे को यह देख कर बहुत बुरा लगा , परेशान हो गया और मन ही मन सोचने लगा की मैंने क्यों यह प्लेट चुना |
पिता यह सब समझ गए और कहा मेरे बच्चे जब तक जीवन में स्वार्थ की आदत को अपने मन में रखोगे तब तक जीत नहीं पाओगे | जीतकर भी हार जाओगे और जो दिखाई दे रहा है, जरुरी नहीं की वही हमेसा सही हो |
दूसरे दिन फिर पिता ने वैसे ही दो कटोरी हलवा तैयार किया | पहले की तरह फिर उसने एक प्लेट में चार बादाम अलग से डाल दिया और बेटे से कहा कोई प्लेट ले लो |
अबकी बार बेटे ने दूसरी प्लेट लिया, चूकी पिछली बार का सबक मालूम था, कल वह देखा था की ऊपर से बादाम दिखने वाली प्लेट में अंदर कोई बादाम नहीं था |
दूसरी सीख
लेकिन यह क्या इस बार तो उसकी प्लेट में कोई बादाम नहीं निकला और पिता के प्लेट में कई सारे बादाम आ गए | अबकी बार तो उसे खुद पर बहुत गुस्सा आया और पिता से बोला की यह क्या ?
तो पिता ने समझाया की बेटा – हमेसा अनुभवों से सीखो ठीक है लेकिन ये ध्यान रहे की यह जरुरी नहीं की हर बार वही अनुभव काम देगा और हा, उनसे सबक जरूर लेलो |
अब लड़के को समझ आ गया की जीवन कभी भी नया चैलेंजे ला सकता है, हमें हर चुनौती के लिए तैयार रहना चाहिए |
अगले दिन फिर पिता जी ने वैसे ही दो कटोरी हलवा बनाया जिसमे एक कटोरी में ऊपर से चार बादाम अलग से लगा दिया और बेटे से बोला इसमें जो भी पसंद हो वह कटोरी लेले |
प्रभु हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ चुनते हैं
लड़का दो दिन के सबक को सीख चुका था, इसलिए अबकी बार लड़के ने कहा – पापा आप घर में बड़े है, आप सबका ध्यान रखते है, आपका योगदान हम सबसे ज्यादा है, इसलिए आप पहले अपनी पसंद से चुन लीजिये बाकी जो छोड़ देंगे वही भाग मैं ले लूंगा |
पिता ने जिसमे ऊपर से चार बादाम थे वही हलवा चुना और दूसरा वाला प्लेट कहा इसे तुम खा लो | बेटे ने एकदम प्रसन्न मन से वही किया, लेकिन अबकी बार उसकी प्लेट में कई बादाम के टुकड़े मिले जबकि उसके पिता की प्लेट में बस वही चार बादाम मिले |
कहानी से सीख :-
इससे यह सीखने को मिला कि जब हम ऊपर वाले पर कोई निर्णय छोड़ देते है तो वो हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ चुनते हैं |
इसीलिए कहा गया है ” जब हम अपने लिए चुनते हैं तो श्रेष्ठ चुनते हैं लेकिन जब हम प्रभु पर छोड़ देते हैं तो प्रभु हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ चुनते हैं “|
इसीलिए जीवन में हमेसा हर काम सच्चे मन से पूरी ईमानदारी के साथ कीजिये बाकी निर्णय को ऊपर वाले पर छोड़ दीजिये , वो हमेसा हमारे लिए बेहतर ही चुनेगे |
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