Hindi में यह Motivational story सभी students के लिए है जिन्हे निर्णय लेने में समस्या होती है | यह एक राजा के निर्णय लेने की दक्षता को दर्शाता है और बताता है की अगर जनता गलत रास्ते पर चल रही हो तो राजधर्म का पालन करते हुए उन्हें कैसे सही राह पर लाया जा सकता है |
राजा क्यों परेशान था ?
एक राज्य में गलत आचरण करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही थी | और जो अच्छे लोग थे उनका नंबर घटता चला जा रहा था |
बुराइयां बढ़ती चली जा रही थी इसलिए वहां का राजा बड़ा परेशान रहता था | एक समय ऐसा आ गया की बुराइयां उसके दरबार तक आ गई | मंत्रियों में भी जो था गलत आचरण आने लगा मंत्री भी गलत रास्ते पर जाने लगे |
सबको सुधारने के लिए राजा ने एक तरकीब सोचा | उसने भरे दरबार में एक परीक्षा का ऐलान किया कि इस तारीख को इतने समय पर तीन मंत्रियों की परीक्षा होगी |
मंत्रियो की अजीब परीक्षा
परीक्षा तो होनी थी लेकिन राजा ने यह नहीं बताया की कौन से तीन मंत्रियों की परीक्षा होगी |
अब परीक्षा का समय शुरू होता है | राजा ने अपने तीन काबिल मंत्रियों को चुना ,उन्हें एक – एक थैला दिया और कहा हमारा जो राजमहल का बगीचा है वहां जाइये और एक घंटे के अंदर अच्छे-अच्छे फल चुनकर के लाइए |
अब पहला मंत्री सोचने लगा कि राजा साहब कितने नेक दिल इंसान हैं | सायद वह ये सब फल खाएंगे इसलिए वह अच्छे फल चुनकर लता है |
हलाकि उसने तो बहुत समय लगाया लेकिन अच्छे-अच्छे फल उसने चुने |
दूसरा जो मंत्री था उसने सोचा कि राजा साहब ने क्या काम पकड़ा दिया है | उसने अच्छे फल जो मिले उसको तो डालता चला गया लेकिन साथ में सड़े – गले भी डाल दिए |
और तीसरा वाला जो मंत्री था उसने 10 मिनट में सारा काम निपटा दिया | दरअसल उसने फल नहीं भरा | उसने घास फूस से पत्तियों से पूरा थैला भर दिया |
उसने सोचा राजा क्यों थैला देखेगा ? ऐसे ही भर देते हैं और राजा को दूर से दिखा देंगे | राजा खुश हो जाएगा |
राजा का निर्णय और जनता को सन्देश
तीनों अपने-अपने बैग लेकर के दरबार में पहुंचे | अब राजा ने आदेश दिया कि इन तीनों मंत्रियों को 3 महीने के लिए कोठरी में बंद कर दो और तीनों के पास उनके अपने-अपने फल पहुंचा दो |
उन्ही फल के अलावा और कुछ भी खाने पीने के लिए नहीं दिया जायेगा | इन्ही फलों के सहारे इनको अपनी जिंदगी 3 महीने तक बितानी है |
अब पहला मंत्री मन में भगवान को धन्यवाद किया की आपने तो अच्छा किया मुझे सही बुद्धि दी ताकि मैं राजा के लिए अच्छे फल लाऊँ |
दूसरा वाला वहीं पर हाथ जोड़कर खड़ा था की महाराज इसमें ऊपर से बस अच्छे फल हैं बाकी नीचे तो सब सड़े – गले सड़े हैं | आप मुझे बचा लो मैं तो दस दिन भी नहीं जी पाऊंगा |
वहीँ तीसरा मंत्री राजा से और गुहार लगा रहा था | वह रो रहा था की इस थैली में एक भी फल नहीं है | इसमें सिर्फ पत्तियां भारी है | घास फूस भारी है | मेरी रक्षा करो | मुझे सजा मत दो |
फिर राजा ने सबको शांत कराया और संदेश दिया कि मैं कोई राजा नहीं हूं | दुनिया का राजा असली राजा तो वह सर्वशक्तिमान है | वह प्रभु है |
जब हम वहां जाएंगे तो हमें भी ऐसे ही थैला मिलेगा जिसमे हमारे कर्म भरे होंगे | जिसने अच्छे फल चुने यानी जो अच्छे कर्म किये उसका तो गुजारा हो जाएगा |
लेकिन जो गलत कर्म लेकर के जा रहा है | उसका क्या होगा ? और जो घास फूस भर के ले जा रहा है उसका तो क्या ही होगा सोचो !
राजा का निर्णय-कहानी से सीख
इस कहानी से हमें दो चीजें पता चलती हैं कि दुनिया के राजा ने हमें मौका दिया है अच्छे फल चुनने का लेकिन हम में से कुछ लोग घास फूस बटोरने में लगे हैं इसलिए अपने कर्मों को पहचानना शुरू कीजिए |
दूसरी सीख यह मिलती है की हमे जीवन के सारे निर्णय इस प्रकार लेने चाहिए की अपना काम सही से हो जाये और किसी को कोई नुकसान भी न हो |
और यदि हमे किसी से अपनी बात मनवानी है तो सब्दो को ऐसे रखो की वह खुसी से सारी बात मान ले |
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