एकबार की बात है एक आदमी रास्ता भटक जाता है और घूमते – घूमते रेगिस्तान में फ़स जाता है | उसके पास खाने पिने का जो भी सामान था वह भी ख़तम हो गया | वह भूख – प्यास से एकदम परेशान था लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की बाहर कैसे निकला जाये | वह भगवान पर बहुत विस्वास करता था उसे यकीन था की ऊपरवाला रास्ता जरूर दिखेगा |
भटकते – भकटते उसे एक झोपड़ी दिखी | मानो उम्मीद की किरण सी जग गई और यह सोचकर वह झोपड़ी में जाता है की वहां कोई होगा जो उसे बाहर निकलने का रास्ता बताएगा लेकिन वहां कोई भी इंसान नहीं दिखा लेकिन हाँ एक हैंडपंप वहां पर जरूर था |
वह यही सोचकर खुश हो रहा था की चलो कुछ नहीं तो प्यास तो बुझ ही जाएगी और जैसे ही वह नल चलता है उसमें से पानी नहीं निकलता वह एक बार फिर से उदास हो जाता है लेकिन वह जैसे ही उदास मन से वापस लौटने को मुड़ता है की उसे एक बोतल दिखाई पड़ता है |
बोतल में पानी था वह खुशी से झूम उठा | वह बोतल लेकर पानी पीने जा रहा था कि वह देखता है कि उसमें एक पर्ची चिपकी हुई है जिसमें कुछ लिखा है वह पर्ची पढ़ता है | उसमें लिखा रहता है कि इसको पीने के लिए इस्तेमाल न करें बल्कि इसे हैंडपंप में डालकर पानी निकाले और अपनी प्यास बुझाने के बाद दूसरे के लिए भरकर रख दें |
वह बहुत असमंजस में पड़ता है कि क्या किया जाए अगर मान लो हैंडपंप से पानी ना निकला तो वह फिर प्यासा ही मर जाएगा | फिरभी वह भगवान का नाम लेकर हैंडपंप में पानी डालता है, नल चलता है एक – दो – तीन – चार और चत्मकार होता है की नल से पानी आ जाता है और ठन्डे – ठन्डे पानी से अपनी प्यास बुझाता है साथ ही फिर से बोतल भर कर वैसे ही रख देता है |
बोतल रख रहा होता है की वह देखता है की वहां एक नक्सा पड़ा होता है वह उसे देखता है तो वह रेगिस्तान से बाहर निकलने का रास्ता होता है |
वह ख़ुशी से पागल हुए जा रहा था और भगवान को बहुत धन्यवाद् दिए जा रहा था | वह अब बाहर की और चल दिया लेकिन जैसे ही कुछ दूर चलता है की वापस उसी झोपड़ी में लौटता है और उस पर्ची को उठाता है उसमे लिख देता है यकीन करिये यह काम करता है | फिर ख़ुशी – ख़ुशी बाहर चला जाता है |
यह छोटी सी कहानी हमें यह बताती है की ऊपर वाले पर भरोसा रखिये, ऊपरवाला रास्ता जरूर दिखेगा | और साथ ही साथ प्रयास भी करना जरुरी है | अगर वह हैंडपंप चलाने का प्रयास नहीं करता तो थोड़ी देर के लिए उसकी प्यास तो बुझ जाती लेकिन न तो खुद बाहर निकल पाता और न ही दूसरे भटके की दोबारा मदद हो पाती |
एक क्वोट है ” औरो को जो भी मिला है मिला है मुकद्दर से मिला है और मुझे तो मुकद्दर ही तेरे दर से मिला है | “
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