जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी - मजाक उड़ाने का नतीजा

जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी – मजाक उड़ाने का नतीजा

यह बेहद दिलचस्प और अद्भुत कहानी है जो दर्शाती है मजाक उड़ाने का नतीजा क्या होता है इसी पर आधारित है | एकबार की बात है समुद्र के पास हंसों का एक झुण्ड विहार कर रहा होता है | इन सबको एक कौवा देख रहा था |

कौवा को सरारत सूझती है और वह उन हंसों के पास जाता है और बोलता है तुम लोग तो सही से उड़ भी नहीं पाते हो | इसतरह की खूबसूरती भी किस काम की कि उसमे फुर्ती नाम की कोई चीज भी ना हो |

जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी - मजाक उड़ाने का नतीजा

एक बुजुर्ग हंस बात को आगे न बढ़ाते हुए बोला – हाँ भाई बात सही है , हम लोग सही से उड़ भी नहीं पाते हैं और भगवान ने आपको क्या फुर्ती दी है | मैंने देखा है आपको, कैसे आप उड़ते – उड़ते गुलाटी भी मार लेते हो | हम सब से नहीं हो पाता |

यह सुनकर कौवे को घमंड हो गया | वह बोला ऐसे नहीं | पहले आओ कुछ करतब करते हैं तब पता चलेगा जो मैं कर सकता हूँ उसमे तुम कितने पीछे रहते हो |

बुजुर्ग हंस बोलता है अरे नहीं भाई , तुम्हारा और हमारा कोई औचित्य नहीं बनता की हम तुमसे कोई मुकाबला करें | मैं मान तो रहा हूँ ना की तुम्हारे जितनी फुर्ती हममे नहीं है | हम तुमसे नहीं जीत सकते |

अब कौवे को और घमंड हो गया | वह जिद करने लगा की बस एक मुकाबला कर ही लो |

यह सब देख कर एक जवान हंस ने उसका चैलेन्ज स्वीकार करते हुए बोला ठीक है तुम जैसे करोगे वैसे मैं करने को तैयार हूँ लेकिन जैसे मैं करूँगा तुम्हे भी वैसे करना पड़ेगा |

कौवे ने हसकर चुनौती को स्वीकार कर लिया |

मुकाबला सुरु हुआ | कौवा उड़ते – उड़ते खूब गुलाटी मारता है | हंस नहीं कर पाता है और वह हार जाता है |

अब बारी थी की हंस जैसा करे ठीक वैसे कौवे को करना है |

फिर हंस समुद्र के ऊपर उड़ने लगा | पीछे पीछे घमंड में चूर कौवा भी उड़ने लगा |

उड़ते उड़ते कौवे को प्यास लगी | नीचे समुद्र में पानी पीने गया लेकिन पानी खारा होने की वजह से नहीं पी पाया | वह फिर उड़ने लगा | उसे अब बहुत थकाई भी लगने लगी थी | वह सोचने लगा अगर वह मुकाबला बीच में छोड़कर वापस लौटता है फिरभी किनारे तक नहीं पहुंच पायेगा |

जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी - मजाक उड़ाने का नतीजा

कौवे को अपनी गलती का एहसास हो गया | वह बहुत पछताने लगा | वह सोचने लगा अब तो मरना तय है | वह हंस से अपनी गलती मानता है और अपने जीवन की रक्षा की गुहार लगाता है |

हंस को दया आ जाती है | फिर वह कौवे को अपनी पीठ पर बैठाकर झुण्ड के पास वापस लाता है |

कहानी का निस्कर्स यह है की किसी को किसी और का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए | मजाक उड़ाने का नतीजा बहुत ही बुरा होता है | हर कोई के पास सब कुछ नहीं होता | सब को एक दूसरे की इज्जत करनी चाहिए |