मनुष्य के जीवन का महत्व - एक प्रेरक कहानी

मनुष्य के जीवन का महत्व – एक प्रेरक कहानी

अगर आप किसी दूसरे की कमजोरी पर है रहे हैं तो हंसने से पहले इस प्रेरक कहानी को जरूर पढ़ लेना | यह कहानी बताती है की कैसे हर एक मनुष्य के जीवन का महत्व है | आपकी समझ में जिसके जीवन का कोई मोल नहीं है वास्तव में कुछ जगहों पर उसका अपना ही वजूद और महत्व है |

एक बार की बात है एक बिजनेसमैन को अपनी फैक्ट्री लगानी रहती है इसलिए साइट को देखने के लिए एक गांव जाता है |

मनुष्य के जीवन का महत्व - एक प्रेरक कहानी

उस गांव में जाने के लिए एक नदी पार करनी पड़ती थी | हलाकि दूसरा रास्ता भी था लेकिन वह इतना दूर था की गांव पहुंचने में उसे दस से बारह घंटे का समय ज्यादा लग जाता | उसे वापस अपने घर ( शहर ) भी आना था इसलिए वह सोचता है की किसी नाव की सहायता से गांव पहुंच जाये |

फिर एक नाविक को ढूंढता है | नाविक आता है और बिजनेसमैन उस नाव में सवार होकर जाने लगता है | रास्ते में जा रहा होता है तब बिजनेसमैन उस नाविक से पूछता है कि तुम्हें पता है तुम्हारे नाव में कौन बैठा है ?

नाविक बोलता है नहीं साहब मुझे नहीं पता |

बिजनेसमैन बोलता है – तुम अखबार नहीं पढ़ते हो क्या ? हर दो तीन दिन में एक बार मेरी फोटो आती रहती है |

नाविक ईमानदारी से बोला – नहीं साहब, मैं पढ़ा – लिखा नहीं हूँ |

यह सुनकर बिजनेसमैन आश्चर्य से देखता है और बोलता है – क्या तुम पढ़े – लिखे नहीं हो ! बिना पढाई – लिखाई के भी कोई जीवन है | तुम अपनी जिंदगी गवां दिए |

मनुष्य के जीवन का महत्व - एक प्रेरक कहानी

नाविक एकदम उदास हो जाता है |

थोड़ी देर के बाद बिजनेसमैन उस नाविक से फिर कहता है – क्या तुम्हे पता है, मैं तुम्हारे इस गांव में एक पानी की फैक्ट्री लगा रहा हूं |

नाविक पूछता है – उससे क्या होगा साहब ?

बिजनेसमैन बोलता है – तुम्हारे गांव में पानी बनाकर शहर में जायेगा | शहर के लोग इसे बड़ी शान से पिटे हैं | फिर बिजनेसमैन पूछ लेता है – क्या तुम कभी शहर गए हो ?

नाविक बताता है – नहीं साहब , मैं कभी अपने इस गांव से बहार नहीं गया |

अबकीबार बिजनेसमैन हसने लगता है और बोलता है – तुमने कभी शहर नहीं देखा | कैसे के इंसान हो यार | तुम अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर सकते | तुम्हारा आधा जीवन तो व्यर्थ ही चला गया |

अब नाविक को सचमुच लगने लगा की उसका जीवन तो व्यर्थ है |

जैसे ही उसकी सोच बदली और नाव चलाने से उसका ध्यान भटका की नाव का संतुलन बिगड़ गया | वह बहुत सम्हालने की कोसिस की लेकिन नाव नहीं सम्हली | अब नाव पानी में डूबने लगी |

वह तुरंत नदी में उतर गया और बिजनेसमैन से कहा – अभी नाव में ही क्यों बैठे हो साहब ? नाव डूबने वाली है और हम दोनों को तैरकर ही किनारे तक पहुंचना होगा |

बिजनेसमैन बोलता है – मुझे तो तैरना नहीं आता |

नाविक जोर- जोर से हसने लगता है और बोलता है क्या साहब आपको तैरना नहीं आता | तब तो आपका सारा जीवन व्यर्थ हो गया |

जीवन का महत्व - एक प्रेरक कहानी

बिजनेसमैन को अपने मजाक पर बहुत पछतावा होने लगा | वह नाविक से गिड़गिड़ाने लगा की किसी तरह उसे बचा ले बदलेमे चाहे जितना पैसे ले ले |

बिजनेसमैन की यह स्थिति देखकर नाविक बोलता है घबराइए नहीं साहब मुझे नाव चलाने के साथ- साथ डूबता लोगों को बचाना भी आता है | मुझे कोई अलग से पैसे नहीं चाहिए | और बिजनेसमैन को बचा लेता है |

कहानी का सार यह है की हर एक मनुष्य के पास सब ज्ञान नहीं होता | हर एक मनुष्य के जीवन का महत्व अलग – अलग होता है | कोई किसी चीज में निपुण है तो कोई किसी और चीज में | इसलिए हमें दूसरों पर नहीं हसना चाहिए |

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