motivational hindi short story Archives - DB Times News, News Headlines, Sports, Entertainment, Business, Life Style https://dbtimesnews.com/tag/motivational-hindi-short-story/ Mon, 05 Aug 2024 13:41:57 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://i0.wp.com/dbtimesnews.com/wp-content/uploads/2023/01/cropped-DB_TIMES-removebg-preview-1.png?fit=32%2C32&ssl=1 motivational hindi short story Archives - DB Times News, News Headlines, Sports, Entertainment, Business, Life Style https://dbtimesnews.com/tag/motivational-hindi-short-story/ 32 32 224951417 Motivational Small Story in Hindi-अभिमान और अनुभव https://dbtimesnews.com/small-story-in-hindi/ https://dbtimesnews.com/small-story-in-hindi/#respond Mon, 05 Aug 2024 08:48:46 +0000 https://dbtimesnews.com/?p=1191 Motivational Small Story in Hindi-अभिमान और अनुभव || एकबार की बात है सेठ जी के...

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Motivational Small Story in Hindi-अभिमान और अनुभव || एकबार की बात है सेठ जी के यहाँ एक लड़का काम करता था | सेठ जी ने उसे काम से निकाल दिया |

क्योकि लड़का बेरोजगार हो गया था इसलिए उदास मन से धीरे – धीरे अपने घर की ओर चला जा रहा था |

थैलों का रहस्य : एक अनमोल डील

रास्ते में उसे एक बूढ़ा आदमी मिलता है | जिसे एक मजदूर की जरुरत होती है | लड़का सोचता है पास में पैसे हैं नहीं तो चलो एक दिन के लिए ही सही लेकिन कुछ पैसे तो आ जायेंगे |

Motivational Small Story in Hindi-अभिमान और अनुभव

लड़का बूढ़े आदमी के पास जाता है और पूछता है की दादा क्या काम है मैं करूँगा | बूढ़ा आदमी बोलता है ये तीन थैला है जिसमे से यह एक भारी वाला थैला मेरे साथ मेरे घर पहुँचाना है बदले में मैं तुम्हे तीन सोने के सिक्के दूंगा |

लड़का खुसी से थैला उठाता है और बूढ़े आदमी के साथ चल देता है |

बूढ़ा आदमी थोड़ी दूर चलने के बाद बार – बार पीछे मुड़ कर देखता | लड़के से रहा नहीं गया उसने पूछा दादा इसमें क्या है जो आप पीछे मुड़ कर देख रहे हो ? क्या आपको मुझ पर भरोसा नहीं है ?

बूढ़े आदमी ने कहा बात तो तुम्हारी सही है लेकिन इस थैले में तांबे के सिक्के हैं |

लड़के को थोड़ा अजीब लगा लेकिन लड़के ने भी बताया – वह कल तक सेठ के यहाँ काम करता था | लेकिन आज सेठ ने इसी लिए निकाल दिया क्योकि सेठ मुझसे बोलता था सामान में मिलावट करके कम तौलो |

मैंने मिलावट और तौल में हेर – फेर नहीं किया इसीलिए मेरी ईमानदारी का फल मिला |

बूढ़े की पेशकश: एक थैले के बदले तीन सोने के सिक्के

बूढ़े आदमी को ये बचे हुए थैले भारी लग रहे थे तो उसने लड़के से कहा – बेटा मेरा ये एक थैला और पकड़लो | मैं तुम्हे तीन सोने के सिक्के और दे दूंगा |

Small Story in Hindi-अभिमान और अनुभव

लड़के के लिए यह कोई बहुत भारी समझ नहीं आया इसलिए वह दूसरा थैला भी ले लिया |

यह थैला पहले वाले से कम वजन का था | लड़के ने पूछा दादा इसमें क्या है ?

बूढ़े आदमी ने उत्तर दिया – इसमें चाँदी के सिक्के हैं |

अब दोनों चले जा रहे थे की रास्ते में एक पहाड़ आता है | पहाड़ के पीछे बूढ़े आदमी का घर रहता है | थोड़ा पहाड़ चलने के बाद बूढ़ा आदमी बोलता है बेटा मुझसे अब नहीं चला जा रहा है |

क्या तुम यह थैला भी पकड़ सकते हो ? मैं तुम्हे इसके लिए तीन सोने के सिक्के और दे दूंगा |

लड़के को कोई वजन नहीं समझ आ रहा था इसलिए उसने तीसरा थैला भी ले लिया |

अब दोनों लोग पहाड़ चढ़ते चले जा रहे थे | लड़के ने पीछे मुड़कर देखा तो बुजुर्ग कुछ दूर पर थे |

लालच का जादू : Small Story in Hindi

अब लडके के मन में लालच आया | उसने सोचा एक में तांबे के सिक्के हैं, एक में चाँदी के सिक्के हैं, तो इस तीसरे में जरूर सोने के सिक्के होंगे |

अभिमान और अनुभव

यह सोचकर लडके ने अपनी चाल तेज कर लिया | बूढ़ा आदमी चिल्लाता रहा लेकिन लड़के ने एक न सुनी | वह भागता सीधे अपने घर आकर रुका |

लड़का बहुत खुश था | वह सोच रहा था अब तो कुछ दिनों तक गरीबी मिट जाएगी | बाद में कुछ काम ढूढ़ लेंगे |

यह सोचकर लड़के ने पहला थैला खोला | देखा तो लड़का परेशान हो गया | दरअसल उसमे छोटे – छोटे ईंट पत्थर थे |

उसने जल्दी – जल्दी दूसरा थैला खोला | उसमे भी कम वजन के ईंट – पत्थर भरे थे | तुरंत उसने तीसरा थैला भी खोला | उसमे और कुछ कम वजन के पत्थर थे और साथ ही साथ एक चिट्ठी रखी थी |

वह लड़का चिट्ठी खोलता है और पड़ता है |

चिट्ठी में लिखा था | मैं इस राज्य का राजा हूँ | मेरी कोई संतान नहीं है इसलिए एक ईमानदार इंसान ढूढ़ रहा हूँ जो मेरा उत्तराधिकारी बन सके |

अब यह लड़का बहुत परेशान हो गया, फूट फूट कर रोने लगा | सोचने लगा एक तो ईमानदारी की वजह से सेठ ने निकाल दिया और दूसरा जब ईमानदारी दिखानी थी तब यह गलती कर बैठा |

कहानी का सार : Motivational Small Story in Hindi-अभिमान और अनुभव

कहानी की तरह हम भी जीवन भर ईमानदारी से अच्छे कर्म करते रहते हैं लेकिन हमारा बस एक गलत कदम सारे अच्छाइयों पर पानी फेर देता है |

इसलिए अगर आपपर बुराई हाबी हो तो सिर्फ यह सोचना की हम जिंदगी भर अच्छाइयां क्यों निभाते चले आये | इसलिए ईमानदारी से अच्छे कर्म करते रहिये |

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Motivational Small Story in Hindi-जीने का सही तरीका https://dbtimesnews.com/motivational-small-story-jine-ka-parfect-tarika/ https://dbtimesnews.com/motivational-small-story-jine-ka-parfect-tarika/#respond Mon, 08 Jul 2024 18:44:32 +0000 https://dbtimesnews.com/?p=1149 Motivational Small Story in Hindi के सीरीज की यह इंट्रेस्टिंग स्टोरी हमारे जीने के परफेक्ट...

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Motivational Small Story in Hindi के सीरीज की यह इंट्रेस्टिंग स्टोरी हमारे जीने के परफेक्ट तरीके को बताती है की हम अपने जीवन को सही तरीके से कैसे जी सकते हैं | तो चलते हैं कहानी की ओर-

ऊंट के साथ व्यापारी क्या लाता है ?

एकबार की बात है अरब का एक व्यापारी एक ऊंट खरीदता है | उसे अपने घर लेकर आता है | ऊंट बांधता है तो उसका पसंदीदा नौकर उस ऊंट की साफ सफाई करता है |

Motivational Small Story in Hindi-जीने का सही तरीका

सफाई करते करते नौकर जैसे ही उसके ऊपर काठी के नीचे बिछे गद्दे को हटाता है वह देखता है की उसके नीचे एक थैली है | थैली खोलता है तो देखता है की उसमे हीरे भरे हुए हैं |

वह थैली लेकर भागता – भागता अपने व्यापारी मालिक के पास पहुंचता है | बोलता है मालिकआपने ऊंट ही नहीं इस थैली में हीरों की पोटली लाये हैं | नौकर बोलता है की इन हीरों को हमे रख लेना चाहिए |

व्यापारी थैली को तुरंत लेता है और जहाँ से ऊंट लाया रहता है उस मार्केट में भागता है | मार्केट पहुंचकर उस ऊंट वाले को ढूढता है |

बहुत ढूढने के बाद ऊंट वाला मिलता है तो व्यापारी उसे वह हीरों से भरी थैली वापस करता है | ऊंट वाला इस ईमानदारी को देखकर बहुत खुश होता है |

अब ऊँटवाला खुश होकर व्यापारी को थैली देकर बोलता है की इसमें से जो भी हीरे चाहिए निकल लो |

व्यापारी कब हीरे निकाले

Motivational Small Story in Hindi-जीने का सही तरीका

व्यापारी थैला वापस देकर बोलता है माफ़ करना लेकिन मैंने पहले ही दो हीरे अपने पास रख लिए हैं |

ऊँटवाला यह सुनकर थोड़ा नाराज होता है और वापस से थैले में अपने हीरे गिनता है |

गिनता है तो सभी हीरे थैले में बराबर रहते हैं | ऊँटवाला बोलता है इसमें तो सभी हीरे बराबर हैं | तुमने झूठ क्यों कहा की दो हीरे अपने पास रख लिए |

व्यापारी बोलता है जी मैं दो हीरे ही तो अपने पास रखा हूँ जिसमे से एक है की ईमानदारी और दूसरा है आत्मसम्मान |

कहानी से सीख – जीने का सही तरीका

यह कहानी हमें यह सिखाती है की जीवन में पैसा ही सबकुछ नहीं होता | आपकी ईमानदारी और आपका अपना सेल्फरिस्पेक्ट बहुत मैटर करता है |

कहावत – जीने का सही तरीका

” किसी के खली बर्तन देखकर यह मत समझाना की वह भिखारी है, हो सकता है की वह सबकुछ दान करके आया हो “

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Motivational story for students in hindi- एक राजकुमार की कहानी https://dbtimesnews.com/motivational-story-for-students-ek-rajkumar-ki-kahani/ https://dbtimesnews.com/motivational-story-for-students-ek-rajkumar-ki-kahani/#comments Tue, 07 May 2024 08:41:59 +0000 https://dbtimesnews.com/?p=914 motivational story for students शृंखला की जबरजस्त कहानी है | यह छोटी सी कहानी एक...

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motivational story for students शृंखला की जबरजस्त कहानी है | यह छोटी सी कहानी एक राज्य की है जिसमें एक राजा रहता था | राजा का एक ही इकलौता पुत्र भी था | पुत्र के आचरण खराब थे जिसकी वजह से राजा बहुत परेशान रहते थे |

राजा ने अपने पुत्र को राज्य से क्यों निकला ?

राजकुमार जब 12-13 साल का था तब राजा उसके बुरे आचरण और बुरे बर्ताव से इतना परेशान हो गया कि वह अपने ही बेटे को राज्य से निकाल दिया |

Motivational story for students - एक राजकुमार की कहानी

सारे मंत्री समझाते रह गए, जनता कहती रह गई कि यह हमारे राजकुमार है, हमारे होने वाले राजा हैं |इन्हें राज्य से मत निकालिए | रानी रोती रह गई लेकिन राजा ने किसी की भी नहीं सुनी |

गलती पर पछतावा

कुछ वर्षों के बाद जब राजा बूढ़ा हो गया तब उसे यह एहसास हुआ कि हां अब उसके राज्य को चलाने के लिए कोई ना कोई तो चाहिए | इसलिए राजा अपनी गलती पर पछतावा करता है |

वह अपने मंत्रियों को आदेश देता है कि कुछ भी करो लेकिन किसी भी तरह अब मेरे बेटे को ढूंढ करके लाओ और वही इस राज्य का नया उत्तराधिकारी होगा |

आदेश सुनकर समस्त सुनकर सैनिक, सेनापति, मंत्री सब राजकुमर को ढूढने चल दिए |

राजकुमार की स्थिति

इधर यह राजकुमार कुछ कर नहीं सकता था लेकिन पेट तो पलना ही था | इस वजह से पेट पालने के लिए वह भीख मांगने लगा |

Motivational story for students

भीख मांगते मांगते उसकी स्थिति बहुत खराब हो गई थी | वह कमजोर भी हो गया था | वह फटे पुराने गंदे कपड़े पहन रखे थे | उसकी दाढ़ी बड़ी-बड़ी हो गई थी बाल बड़े-बड़े हो गए थे | उसकी याददास्त कमजोर हो गई थी |

एकबार वह एक चौराहे पर भीख मांग रहा था | तभी सेनापतियो की निगाह इस पर पड़ती है | जब उसके पास पहुंचे तो मंत्रियों को लगा कि इसको कहीं ना कहीं तो देखा है |

राजकुमार की पहचान कैसे हुई

शक के तौर पर जब मंत्रियों ने फोटो से मिलान किया गया तब समझ में आता है कि इसकी आंखें तो एकदम राजकुमार के जैसे थी |

तुरंत हाथ की मिट्टी को हटा कर देखा गया तो हाथ में राज चिन्ह था | अब सबको पता चल गया कि यही राजा के पुत्र हैं | सबने इस भिखारी को प्रणाम किया और सारी बात बताई |

मंत्रियों ने बताया की आप हमारे नए होने वाले राजा हैं | अब आप वापस चलिए राजा ने आपको याद किया है | यह सुनकर वह भिखारी तुरंत उत्तेजित हो गया | उसके सरीर में एक अलग ही ऊर्जा दौड़ने लगी |

उसे अब सबकुछ याद आ चुका था | वह सब को पहचानने भी लगा था | उसे अपने राजकुमार होने का एहसास होता है | उसे जैसे ही एहसास होता है की तुरंत आदेश देता है सबसे पहले मुझे स्नान कराया जाए |

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पल भर में सारा सीन बदल गया | वह पल भर में भिखारी से राजा बन गया | उसे एहसास हो गया कि वह भीख मांगने के लिए नहीं बना | वह अब राज करने के लिए पैदा हुआ है |

अब राजकुमार को बड़े धूमधाम के साथ राज्य में लाया गया और नया राजा बनाया गया | अब देखो की समय की मार ऐसी की इसका जो बुरा आचरण था वह भी अब सुधर चुका था | वह अच्छे राजा की भांति बढ़िया से राज करने लगा |

motivational story for students || कहानी का सार

अगर देखा जाए तो यह कहानी उस राजा के साथ साथ हमारी भी है | हम सब सारी जिंदगी भीख ही तो मांगते रहते हैं | नहीं सोचते कि हम राजा हैं राज करने के लिए पैदा हुए हैं |

नहीं सोचते की हम राजकुमार हैं परम आनंद के अनुभूति के लिए हमारा जन्म हुआ है | क्या आपने इतना कमा लिया उतना कम लिया यही जीवन का सार है ? नहीं |

अपने जीवन का सही मकसद सही उद्देश्य चुनिए और उस पूरा करने में जुट जाइये | साथ ही साथ अपने – अपने उपरवाले को याद करते रहिये और उसका शुक्रिया करते चलिए |

तब आपको मालूम चलेगा और पता चलेगा कि हम मांगते रह गए थे जबकि उसने हमें अपना राजकुमार बना करके भेजा था |

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Short Motivational Story in Hindi For Success-टाटा जी की विनम्रता https://dbtimesnews.com/short-motivational-story-tata-ki-vinamrata/ https://dbtimesnews.com/short-motivational-story-tata-ki-vinamrata/#comments Tue, 30 Apr 2024 14:21:01 +0000 https://dbtimesnews.com/?p=893 Short Motivational Story in Hindi For Success में हम एक ऐसे नायक की कहानी बताने...

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Short Motivational Story in Hindi For Success में हम एक ऐसे नायक की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे पूरा भारत दिल से बहुत इज्जत देता है |

दिलीप जी कहते हैं की एकबार वह एयर इंडिया की फ़्लाइट से कही जा रहे थे | जब वह बैठे थे तब देखते हैं की फ़्लाइट में मौजूद सभी यात्री उन्हें जानते थे की यह एक जाने माने एक्टर हैं | लेकिन वहां एक ऐसा इंसान भी बैठा था जो उन्हें बलकुल भी पहचान नहीं रहा था |

Short Motivational Story in Hindi For Success

दिलीप बगल में बैठा वह आदमी कभी विंडो से बाहर कभी पेपर पढ़ रहा था | दिलीप जी को लगा की यह कैसा इंसान है ?

थोड़ी देर बाद दिलीप ने खुद ही हाय – हेलो किया | थोड़ी बहुत बात सुरु हुई | फिर पूछा की क्या आप फिल्म्स वगैरह देखते हैं |

आदमी ने उत्तर दिया – ज्यादा तो नहीं लेकिन हाँ कुछ समय पहले एक मूवी देखी थी |

दिलीप जी ने अपना परिचय दिया की वह एक जाने माने एक्टर दिलीप कुमार हैं | उस आदमी ने दिलीप जी को बधाई दिया |

थोड़ी देर में फ़्लाइट लैंड हुई तो फिर से बाय बाय हुआ तो उस दिलीप जी ने उनका परिचय पूछा तो उस आदमी ने बताया की वह उनका नाम जे. आर. डी. टाटा है |

दिलीप जी सोचने लगे की वह कितने खुसनसीब हैं की इस प्लेन के करता धरती के साथ सफर हुआ और इनकी विनम्रता से बहुत प्रभावित हुए |

टाटा जी का यह मानना था की अगर आप समय के पाबंद हैं तो आपको सफलता मिलेगी जरूर और वह इसी उद्देश्य से काम करते थे |

एकबार का किस्सा बहुत फेमश है | स्विटरजरलैंड एयरपोर्ट पर एक ऑफिसर दूसरे ऑफिसर से पूछता है भाई टाइम क्या हुआ है ?

वह बिना घडी देखे बोलता है इस समय 11 बज चुके हैं |

इसने पूछा भाई आपने न घडी देखी न कुछ आपको कैसे पता की 11 बज गए हैं ?

Short Motivational Story in Hindi For Success

दूसरे ऑफिसर ने उत्तर दिया – वो देखो एयर इंडिया का प्लेन आ चुका है यानि 11 बज चुके हैं |

दरअसल स्विटरजरलैंड एयरपोर्ट पर एयर इंडिया का प्लेन 11 बजे ही आता था |

टाटा जी को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला था | भारत के अलावा उन्हें फ्रांस का भी सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला था |

Short Motivational Story in Hindi For Success कहानी से हमें यह सीख मिलती है की सबसे पहले तो हमे अपने आचरण में विनम्रता लानी होगी |

दूसरा यह की हमें समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए और सही strategy और सही planning के साथ समय से काम करना चाहिए |

ऐसे ही और मोटिवेशनल विडिओ देखने के लिए यहाँ क्लिक करे |

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Short Motivational Story in Hindi For Success-जीवन और लालसा https://dbtimesnews.com/short-motivational-story-jiwan-aur-lalsa/ https://dbtimesnews.com/short-motivational-story-jiwan-aur-lalsa/#comments Mon, 22 Apr 2024 10:51:27 +0000 https://dbtimesnews.com/?p=873 यह एक Short Motivational Story है जो एक संत की है | संत प्रवचन देने...

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यह एक Short Motivational Story है जो एक संत की है | संत प्रवचन देने के लिए एक नगर से दूसरे नगर जाया करते थे | उनकी खुद की कोई कुटिया नहीं थी |

वह सदैव एक जगह से दूसरी जगह जाया करते , प्रवचन करते और जो भी भिक्षा मिलती उसी से पेट भरते | जीवन में और ज्यादा की कोई इक्षा नहीं थी |

Short Motivational Story in Hindi For Success

एकबार की बात है उनके पास एक आदमी आता है और बोलता है की आप प्रवचन करने जगह – जगह जाते हैं | इस नगर के राजा बहुत ही दानवीर हैं | क्यों न आप उनसे कुछ जमीन ले लेते और वहीँ अपनी कुटिया बना लेते और एकजगह बैठ कर प्रवचन करते |

दान के लिए संत राजदरबार में गए

संत को यह बात अच्छी लगती है | वह दूसरे दिन सुबह – सुबह राजा के दरबार में पहुंच जाते हैं | वह जाते तो सुबह हैं लेकिन उनसे पहले कई सारे लोग दान लेने के लिए पहुंचे रहते हैं |

सभी को दान देने के बाद जब संत का नंबर आता है तो राजा ने इनसे भी पूछा की बाबा आपको क्या चाहिए ?

संत ने उत्तर दिया – मुझे अपनी कुटिया बनाने के लिए और प्रवचन करने के लिए आपके राज्य में कुछ जमीन चाहिए |

राजा ने कहा – आप ने इतने पुण्य का काम हमारे राज्य में चुने हैं ये तो हमारे लिए बहुत गर्व की बात है | बताइये, आपको कितनी जगह चाहिए ?

राजा का यह प्रश्न अब संत को भ्रम में डाल रहा था | वह सोच में पड गए की एक बीघा जमीन ठीक रहेगा | फिर विचार आया की दो बीघा ले लेते हैं जिसमे कुछ पेड़ भी लगा लेंगे |

Short Motivational Story in Hindi For Success

बस यही सब सोच रहे थे की राजा ने फिर पूछ लिया की महात्मन आपको कितनी जमीन चाहिए ?

राजा ने संत को क्या दान में दिया?

संत अब भी कुछ नहीं बोल पा रहे थे | फिर राजा ने कहा – वह जो मैदान है उसके एक सिरे से चलकर साम तक आप जितने भी दूर चलेंगे वह सारी जमीन आपकी हो जाएगी |

राजा की यह बात सुनकर बिना देर किये संत तुरंत रास्ता नापने के लिए निकल गए | इधर राजा ने अपने कुछ सिपाहियों को भी लगा दिया की रास्ते में जब बाबा को भूख – प्यास वगैरह लगेगी तब खाना और पानी दे देना |

अब संत चले जा रहे हैं | थोड़ी दूर चलने के बाद सिपाहियों ने पूछा बाबा थोड़ा आराम कर लीजिये पानी पी लीजिए , लेकिन उन्होंने कुछ भी खाने पिने से मना कर दिया |

बाबा दौड़ते चले जा रहे थे की रास्ते में उन्हें झील दिखी | उन्होंने सोचा आश्रम में तो झील जरुरी है | उन्होंने दौड़ते हुए झील के भी चक्कर लगाए | उनको राजा की बात भी याद आयी की साम के पहले पहुंचना भी है इसलिए वह दौड़ लगाने लगे |

Short Motivational Story in Hindi For Success-जीवन और लालसा

साम होने से पहले वह अपना रास्ता कबर कर तो लिए थे लेकिन पहुंचते – पहुंचते वह गिर पड़े | और वह ऐसे गिरे की फिर कभी उठ नहीं सके | महात्मा जी मर चुके थे |

कहानी से सीख

यह कहानी उन संत के साथ साथ हम सब की भी है की हम सब और चाहिए और चाहिए की लालसा के पीछे भाग रहे हैं | लेकिन हम यह भूल चुके हैं की असल में जिंदगी दौड़ने भागने का नहीं असल जिंदगी तो जीने का नाम है | इसी तरह की और Short Motivational Story in Hindi Youtube पर देखें | धन्यवाद |

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जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी – मजाक उड़ाने का नतीजा https://dbtimesnews.com/majak-udane-ka-natija/ https://dbtimesnews.com/majak-udane-ka-natija/#respond Tue, 05 Mar 2024 13:03:06 +0000 https://dbtimesnews.com/?p=721 यह बेहद दिलचस्प और अद्भुत कहानी है जो दर्शाती है मजाक उड़ाने का नतीजा क्या...

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यह बेहद दिलचस्प और अद्भुत कहानी है जो दर्शाती है मजाक उड़ाने का नतीजा क्या होता है इसी पर आधारित है | एकबार की बात है समुद्र के पास हंसों का एक झुण्ड विहार कर रहा होता है | इन सबको एक कौवा देख रहा था |

कौवा को सरारत सूझती है और वह उन हंसों के पास जाता है और बोलता है तुम लोग तो सही से उड़ भी नहीं पाते हो | इसतरह की खूबसूरती भी किस काम की कि उसमे फुर्ती नाम की कोई चीज भी ना हो |

जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी - मजाक उड़ाने का नतीजा

एक बुजुर्ग हंस बात को आगे न बढ़ाते हुए बोला – हाँ भाई बात सही है , हम लोग सही से उड़ भी नहीं पाते हैं और भगवान ने आपको क्या फुर्ती दी है | मैंने देखा है आपको, कैसे आप उड़ते – उड़ते गुलाटी भी मार लेते हो | हम सब से नहीं हो पाता |

यह सुनकर कौवे को घमंड हो गया | वह बोला ऐसे नहीं | पहले आओ कुछ करतब करते हैं तब पता चलेगा जो मैं कर सकता हूँ उसमे तुम कितने पीछे रहते हो |

बुजुर्ग हंस बोलता है अरे नहीं भाई , तुम्हारा और हमारा कोई औचित्य नहीं बनता की हम तुमसे कोई मुकाबला करें | मैं मान तो रहा हूँ ना की तुम्हारे जितनी फुर्ती हममे नहीं है | हम तुमसे नहीं जीत सकते |

अब कौवे को और घमंड हो गया | वह जिद करने लगा की बस एक मुकाबला कर ही लो |

यह सब देख कर एक जवान हंस ने उसका चैलेन्ज स्वीकार करते हुए बोला ठीक है तुम जैसे करोगे वैसे मैं करने को तैयार हूँ लेकिन जैसे मैं करूँगा तुम्हे भी वैसे करना पड़ेगा |

कौवे ने हसकर चुनौती को स्वीकार कर लिया |

मुकाबला सुरु हुआ | कौवा उड़ते – उड़ते खूब गुलाटी मारता है | हंस नहीं कर पाता है और वह हार जाता है |

अब बारी थी की हंस जैसा करे ठीक वैसे कौवे को करना है |

फिर हंस समुद्र के ऊपर उड़ने लगा | पीछे पीछे घमंड में चूर कौवा भी उड़ने लगा |

उड़ते उड़ते कौवे को प्यास लगी | नीचे समुद्र में पानी पीने गया लेकिन पानी खारा होने की वजह से नहीं पी पाया | वह फिर उड़ने लगा | उसे अब बहुत थकाई भी लगने लगी थी | वह सोचने लगा अगर वह मुकाबला बीच में छोड़कर वापस लौटता है फिरभी किनारे तक नहीं पहुंच पायेगा |

जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी - मजाक उड़ाने का नतीजा

कौवे को अपनी गलती का एहसास हो गया | वह बहुत पछताने लगा | वह सोचने लगा अब तो मरना तय है | वह हंस से अपनी गलती मानता है और अपने जीवन की रक्षा की गुहार लगाता है |

हंस को दया आ जाती है | फिर वह कौवे को अपनी पीठ पर बैठाकर झुण्ड के पास वापस लाता है |

कहानी का निस्कर्स यह है की किसी को किसी और का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए | मजाक उड़ाने का नतीजा बहुत ही बुरा होता है | हर कोई के पास सब कुछ नहीं होता | सब को एक दूसरे की इज्जत करनी चाहिए |

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मनुष्य के जीवन का महत्व – एक प्रेरक कहानी https://dbtimesnews.com/manushya-ke-jiwan-ka-mahatw/ https://dbtimesnews.com/manushya-ke-jiwan-ka-mahatw/#respond Sat, 24 Feb 2024 13:49:58 +0000 https://dbtimesnews.com/?p=705 अगर आप किसी दूसरे की कमजोरी पर हंस रहे हैं तो हंसने से पहले इस...

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अगर आप किसी दूसरे की कमजोरी पर हंस रहे हैं तो हंसने से पहले इस प्रेरक कहानी को जरूर पढ़ लेना | यह कहानी बताती है की कैसे हर एक मनुष्य के जीवन का अपना महत्व है |

आपकी समझ में जिसके जीवन का कोई मोल नहीं है वास्तव में कुछ जगहों पर उसका अपना ही वजूद और महत्व है |

बिजनेसमैन साइट देखने कैसे गया ?

एक बार की बात है एक बिजनेसमैन को अपनी फैक्ट्री लगानी रहती है इसलिए साइट को देखने के लिए एक गांव जाता है |

उस गांव में जाने के लिए एक नदी पार करनी पड़ती थी | हलाकि दूसरा रास्ता भी था लेकिन वह इतना दूर था की गांव पहुंचने में उसे दस से बारह घंटे का समय ज्यादा लग जाता | उसे वापस अपने घर ( शहर ) भी आना था इसलिए वह सोचता है की किसी नाव की सहायता से गांव पहुंच जाये |

मनुष्य के जीवन का महत्व - एक प्रेरक कहानी

फिर एक नाविक को ढूंढता है | नाविक आता है और बिजनेसमैन उस नाव में सवार होकर जाने लगता है | रास्ते में जा रहा होता है तब बिजनेसमैन उस नाविक से पूछता है कि तुम्हें पता है तुम्हारे नाव में कौन बैठा है ?

क्या नाविक अखबार पढ़ सकता है ?

नाविक बोलता है नहीं साहब मुझे नहीं पता |

बिजनेसमैन बोलता है – तुम अखबार नहीं पढ़ते हो क्या ? हर दो तीन दिन में एक बार मेरी फोटो आती रहती है |

नाविक ईमानदारी से बोला – नहीं साहब, मैं पढ़ा – लिखा नहीं हूँ |

यह सुनकर बिजनेसमैन आश्चर्य से देखता है और बोलता है – क्या तुम पढ़े – लिखे नहीं हो ! बिना पढाई – लिखाई के भी कोई जीवन है | तुम अपनी जिंदगी गवां दिए |

नाविक एकदम उदास हो जाता है |

मनुष्य के जीवन का महत्व - एक प्रेरक कहानी

थोड़ी देर के बाद बिजनेसमैन उस नाविक से फिर कहता है – क्या तुम्हे पता है, मैं तुम्हारे इस गांव में एक पानी की फैक्ट्री लगा रहा हूं |

नाविक शहर नहीं गया !

नाविक पूछता है – उससे क्या होगा साहब ?

बिजनेसमैन बोलता है – तुम्हारे गांव में पानी बनाकर शहर में जायेगा | शहर के लोग इसे बड़ी शान से पिटे हैं | फिर बिजनेसमैन पूछ लेता है – क्या तुम कभी शहर गए हो ?

नाविक बताता है – नहीं साहब , मैं कभी अपने इस गांव से बहार नहीं गया |

अबकीबार बिजनेसमैन हसने लगता है और बोलता है – तुमने कभी शहर नहीं देखा | कैसे के इंसान हो यार | तुम अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर सकते | तुम्हारा आधा जीवन तो व्यर्थ ही चला गया |

अब नाविक को सचमुच लगने लगा की उसका जीवन तो व्यर्थ है |

बिजनेसमैन को गलती पर पछतावा

जैसे ही उसकी सोच बदली और नाव चलाने से उसका ध्यान भटका की नाव का संतुलन बिगड़ गया | वह बहुत सम्हालने की कोसिस की लेकिन नाव नहीं सम्हली | अब नाव पानी में डूबने लगी |

वह तुरंत नदी में उतर गया और बिजनेसमैन से कहा – अभी नाव में ही क्यों बैठे हो साहब ? नाव डूबने वाली है और हम दोनों को तैरकर ही किनारे तक पहुंचना होगा |

बिजनेसमैन बोलता है – मुझे तो तैरना नहीं आता |

नाविक जोर- जोर से हसने लगता है और बोलता है क्या साहब आपको तैरना नहीं आता | तब तो आपका सारा जीवन व्यर्थ हो गया |

जीवन का महत्व - एक प्रेरक कहानी

बिजनेसमैन को अपने मजाक पर बहुत पछतावा होने लगा | वह नाविक से गिड़गिड़ाने लगा की किसी तरह उसे बचा ले बदलेमे चाहे जितना पैसे ले ले |

बिजनेसमैन की यह स्थिति देखकर नाविक बोलता है घबराइए नहीं साहब मुझे नाव चलाने के साथ- साथ डूबता लोगों को बचाना भी आता है | मुझे कोई अलग से पैसे नहीं चाहिए | और बिजनेसमैन को बचा लेता है |

कहानी का सार

कहानी का सार यह है की हर एक मनुष्य के पास सब ज्ञान नहीं होता | हर एक मनुष्य के जीवन का महत्व अलग – अलग होता है | कोई किसी चीज में निपुण है तो कोई किसी और चीज में | इसलिए हमें दूसरों पर नहीं हसना चाहिए |

और अधिक मोटिवेशनल वीडियो के लिए कृपया हमारे यूट्यूब चैनल पर जाएँ| धन्यवाद |

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कभी कभी हम यह देखते हैं की कोई इंसान सही होता है उसके कर्म सही रहते हैं फिरभी कर्मफल सही नहीं मिलता | कारण यह होता है हमें हमारे पूर्वजों के कर्मों का फल भी भोगना पड़ता है | आज की यह रियल कहानी इसी पर आधारित है और यकीन मानिये यह 100% सत्य है | इसे जरूर पढियेगा |

लगभग 1970 के समय में एक जमींदार थे | आज के समय में उनके बेटे और नाती दूसरों के यहाँ मजदूरी करते हैं | एकबार मैंने अपने पिता जी से इनके पतन का कारण पूछा तो पिता जी ने सारी कहानी बताई जो मैं आपके साथ साझा कर रहा हूँ |

पिता जी बताते हैं की ये जमींदार नहर विभाग में ठेकेदारी का काम करते थे | उनके पास आटा, चावल की मशीन थी | उनके यहाँ कई गाय और भैसें थी | जिनकी देख रेख के लिए आदमी भी थे | और बाहर जानवरों को जंगल में चराने ले जाने, नहलाने के लिए अलग आदमियों की व्यवस्था थी |

हमारे पूर्वजों के कर्मों का फल

हर सुबह जब सेठ जी चाय पीते थे तो उनके यहाँ लगभग 100 लोगों के लिए चाय बनती थी | सेठ जी एक लोकप्रिय व्यक्ति थे इसलिए रास्ते में आने – जाने वाले सभी परिचित लोग को बुलाकर चाय पिलाते थे | उनके पास लाइसेंसी बन्दूक भी थी | सब ठीक चल रहा था | यह सारी चीजें मेरे सामने हुई भी हैं |

आगे पिता जी बताते हैं की नहर विभाग में तो थे ही | वहां पर काम करने वाले कई मजदूर थे | जिसमे से वह कुछ का पैसा रोक लिए थे जो कि नहीं दे रहे थे | एक और घटना थी की वह थे तो 50 वर्ष के लेकिन एक 20 वर्ष की लड़की ने उनपर शोषण का आरोप भी लगाया था |

पिता जी बताते थे की इस घटना के समय उनके बैंक खाते में लगभग एक करोड़ रुपये थे | जब सारा मामला शांत हो गया था फिर भी बहुत पैसे बचे थे | पिता जी उनसे बोल रहे थे की कुछ पैसे से जमीन खरीद लो | लेकिन सेठ जी का उत्तर था – मेरे पास इतना है की मेरे बच्चे बैठे – बैठे खाएंगे तब भी नहीं ख़तम होगा |

हलाकि यह उस समय की बात है जब अच्छी उपजाऊ ज़मीन एक हजार रुपये बीघा थी | अगर सेठ चाहे होते तो 700-800 बीघा ज़मीन खरीद लेते | लेकिन उनके पैसों का घमंड यह सब नहीं करने दिया |

कुछ दिन के बाद वक्त ने ऐसी पलटी मारी की सबसे पहले उनकी चक्की (आटा – चावल बनाने की मशीन ) बिक गई | नहर की खुदाई में ठेकेदारी थी इसलिए खुदाई ख़तम तो ठकेदारी ख़तम | हलाकि लाइसेंस रेनुअल करने का विकल्प था लेकिन बस वही विनास काले विपरीत बुद्धि |

पैसों का आगमन ख़तम फिर धीरे – धीरे बैंक बैलेंस फिर चाय बुलाकर पिलाना भी बंद | फिर भी पैसों की कमी थी तो अबकी बार खेत बेचना सुरु | और यह सब घटना मुश्किल से पांच साल के अंदर की है |

कुछ खेत बिक गए तो बचे खेतों में अनाज पहले की अपेक्षा कम हो गए | हलाकि खर्चों पर कंट्रोल करना सुरु करते हैं | लेकिन कहा गया है न जब लक्ष्मी जी रूठती हैं तो जल्दी मानती नहीं हैं |

फिर एक समय ऐसा भी आया की खुद की दवाई के भी पैसे नहीं थे | इलाज तो सिर्फ इसलिए हो गया क्योकि डॉक्टर इनके परिचय का था | और वह इसलिए हुआ की जमींदारी के समय में इन्होने इस डॉटर की पढ़ाई में मदद की थी |

हमारे पूर्वजों के कर्मों का फल

हलाकि थोड़े दिन के बाद इनकी मृत्यु हो गई | अभी बंदूक बची थी | सेठ के बहुत करीबी रिस्तेदार बन्दूक लेना चाहते थे | वह इलाज से लेकर हर एक समय सेठ जी की मदद करते रहते थे | लेकिन सेठ के बच्चे बन्दुक देने से मना कर देते है और बन्दूक जमा करा देते हैं |

अब आज की स्थिति ऐसी है की सेठ के बच्चे मजदूरी कर के खाते हैं | बन्दूक सायद सड़ गई होगी लेकिन छुड़ा नहीं पाए | रिस्तेदार जो इनकी मदद करते थे वह भी इसी बन्दूक के चक्कर में गुस्सा होकर आना जाना बंद कर दिए हैं |

सेठ के बच्चे बहुत मेहनत करते हैं लेकिन पता नहीं कैसे सारे पैसे कहाँ गम हुए जा रहे हैं | फिलहाल पिता के कर्म में बच्चों का कोई हाथ नहीं है लेकिन हाँ जाने अनजाने में कभी पूर्व में कमाए पैसों के साझा बने हैं |

इसीलिए कहा जाता है की ” हमें अपने तथा हमारे पूर्वजों के कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है |” महाकवि घाघ की एक पुरानी कहावत है- बाढ़ै पूत पिता के धर्मे, खेती उपजै अपने कर्मे। यानी पिता के धर्म और अधर्म में पुत्र का भविष्य टिका होता है | |

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